इलाहाबाद विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति लागू करने की तैयारियां तेज हो गई हैं। इसके तहत चार वर्षीय स्नातक की पढ़ाई करने वाले छात्र प्रवेश परीक्षा देकर सीधे पीएचडी में प्रवेश ले सकेगा। कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गुरुवार को सभी डीन और विभागाध्यक्षों के साथ ऑनलाइन मोड में बैठक हुई। करीब दो घंटे चली इस बैठक में विभिन्न मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई तथा भविष्य के लिए कार्ययोजना तैयार करने पर सहमति बनी।
वर्ष 2023 से देश में नई शिक्षा नीति लागू की जानी है। नई शिक्षा नीति में पाठ्यक्रम तैयार करने संबंधी विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई। कुलपति ने हर विभागाध्यक्ष को निर्देश दिया कि वे नई शिक्षा नीति के अनुसार अगले 15 दिनों में अपने-अपने विषय के पाठ्यक्रम का प्रारूप तैयार करें। 25 जून को इस विषय पर फिर से बैठक होगी।
बैठक में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम लागू करने पर चर्चा हुई। कुलपति ने इस बात पर जोर दिया कि कई छात्र-छात्राओं की शिक्षा स्नातक के बाद रुक जाती है और वे शोध नहीं कर पाते हैं। नई शिक्षा नीति लागू होने पर चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के बाद कोई भी छात्र प्रवेश परीक्षा देखर सीधे पीएचडी में प्रवेश ले सकता है।
डॉ. चित्तरंजन कुमार (असिस्टेंट पीआरओ, इविवि) ने कहा, कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई मुद्दों पर निर्णय लिया गया । कुलपति ने रोजगारपरक नए पाठ्यक्रमों पर बल दिया है। चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पर भी विस्तार से चर्चा हुई। कुलपति नई शिक्षा नीति को लेकर गंभीर हैं।
एनसीसी को वैकल्पिक विषय बनाने के लिए कमेटी गठित
नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि बीए, बीकॉम, बीएसी जैसे स्नातक स्तर के सारे विद्यार्थी (एनएनसी) नेशनल कैडेट कोर को एक वैकल्पिक विषय के रूप में ले सकते हैं। स्नातक स्तर के विद्यार्थी जैसे अन्य वैकल्पिक विषयों का चयन करते हैं वैसे ही 2023 से वे एनसीसी को एक वैकल्पिक विषय के रूप में रख सकते हैं। इस संबंध में कुलपति ने प्रो. पीके घोष की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी इस बात का निर्णय करेगी कि एनसीसी को पाठ्यक्रम में कैसे लागू किया जाए।