इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लखनऊ यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के 180 पदों के फाइनल सेलेक्शन को अंतिम रूप में देने पर रोक लगा दी है। हालांकि कोर्ट ने चयन प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी है। मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च को होगी।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच द्वारा यूनिवर्सिटी के एंथ्रोपोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के एक उम्मीदवार द्वारा दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यूनिवर्सिटी के फाइनल सेलेक्शन लिस्ट जारी किए जाने पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस याचिका में कई विभागों के सीटों के आरक्षण को लेकर लागू प्रावधानों को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति इरशाद अली की बेंच ने लखनऊ यूनिवर्सिटी की जनरल कैटेगरी से उम्मीदवार डॉ. प्रीति सिंह की याचिका की सुनवाई पूरी होने तक एक पद को खाली करते हुए चयन प्रक्रिया को जारी रखने की छूट दी है। याचिकाकर्ता डॉ. प्रीति सिंह द्वारा सितंबर 2020 में जारी भर्ती विज्ञापन में एंथ्रोपोलॉजी विभाग में चार पदों पर भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी के आवेदन मानकों को मानने से चारों पद आरक्षित हो गए हैं। ऐसे में वह आवेदन करने से वंचित रह गई हैं। जबकि लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता ने बेंच को बताया है कि यूनिवर्सिटी द्वारा 7 मार्च 2019 के केंद्र सरकार के 10 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण को लागू किया गया है। इसी के कारण आरक्षण की सीमा 50 फीसदी ज्यादा हो गई है, जबकि यूपी लोक सभा सेवा अधिनियम 1994 यहां लागू नहीं होता है। आपको बता दें कि न्यायमूर्ति इरशाद अली की बेंच ने लखनऊ यूनिवर्सिटी को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।