अपनी प्राथमिकताओं को गिनाते हुए प्रो. अखिलेश ने कहा कि छात्र और शिक्षक शिक्षा के आधार स्तंभ हैं। उनकी समस्याओं को सुनकर और उनका निराकरण करके ही शैक्षिक उन्नयन का लक्ष्य पूरा कर पाना संभव होगा। सबसे पहले छात्रों के व्यक्तिगत व सामूहिक समस्याओं का समाधान उनके लिए सर्वोपरि है। नए पाठ्यक्रम के सवाल पर प्रो. सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप स्नातक और परास्नातक कक्षाओं का संचालन जरूरी होगा। नई शिक्षा नीति के प्रावधान के अनुसार स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों में समन्वय स्थापित कर उन्हें सुचारु रूप से संचालित करने की चुनौती होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि नए पैटर्न के अनुसार स्नातक और परास्नातक को मिला कर (4 प्लस 1) पाठ्यक्रम शुरू करने हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में स्नातक की कक्षाएं संचालित करना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से शुरू विषम सेमेस्टर परीक्षाओं को सकुशल संपन्न कराना और वार्षिक परीक्षा को सुचारु रूप से पूर करना है। उच्च शिक्षा में शोध का अहम स्थान है और इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न एजेंसियों की मदद ली जाएगी। इसके लिए एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) की ओर कदम बढ़ाए जाएंगे। कुलपति ने पद सभालने के बाद विश्वविद्यालय के शिक्षक, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ औपचारिक मुलाकात की। अधिकारियों और शिक्षकों ने उन्हें बुके देकर स्वागत किया।
