- बिहार में शहरीकरण को बढ़ावा देने की कवायद शुरू हो गई है। बीते दिनों राज्य सरकार द्वारा 117 नए शहरी निकायों के गठन को मंजूरी दी गई थी। इन निकायों में दावा-आपत्तियों की समयसीमा खत्म हो चुकी है। इसके साथ ही नए निकायों के लिए स्टाफ का खाका भी तैयार किया गया है। विभिन्न पदों पर साढ़े पांच हजार से अधिक कर्मचारियों की बहाली होने की उम्मीद है।
नगर विकास एवं आवास विभाग में बड़े पैमाने पर बहाली की तैयारी है। राज्य के शहरी निकायों में स्टाफ की खासी कमी है। इंजीनियर भी नहीं हैं। हर बैठक में निकायों द्वारा यह मसला जोर-शोर से उठाया जाता है। अभी तक शहरी निकायों की संख्या राज्य में 142 थी। मगर अब नए निकायों को मंजूरी के बाद यह संख्या बढ़कर 259 हो गई है। इनके गठन की प्रक्रिया चल रही है। नगर विकास एवं आवास विभाग की कोशिश है कि शहरी निकायों को पर्याप्त स्टाफ दिया जाए ताकि वहां सुगमता से काम हो सके। निकायों के लिए स्टाफ का खाका तीन श्रेणियों में तैयार किया गया है। इसमें नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतें शामिल हैं। नए नगर निगमों में कार्यपालक पदाधिकारी, सिटी मैनेजर, अपर और लोअर डिवीजन क्लर्क के अलावा स्वच्छता, स्वास्थ्य, वेटरनरी, इलेक्ट्रिकल से जुड़े पदों पर तैनाती होनी है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संविदा पर बहाल किए जाएंगे।
निकायों पर बढ़ा है केंद्रीय योजनाओं का भी बोझ
शहरी निकायों के पास राज्य और केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन का जिम्मा है। ऐसी योजनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। दूसरी ओर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का भी दबाव गंदगी और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर बढ़ता जा रहा है। इन योजनाओं के लिए तकनीकी जानकार स्टाफ की जरूरत है।